ग्लोबल कार्टून म्यूजियम
- विशेष प्रतिनिधि
देश की एकमात्र कार्टून पत्रिका ने 23वें वर्ष में प्रवेश के अवसर पर ‘ग्लोबल
आन लाइन कार्टून म्यूजियम’ लांच कर दिया है। कार्टून वॉच के सम्पादक त्रयम्बक
शर्मा ने बताया कि उन्होंने अपने विगत 22 वर्षों के स्वप्न को डिजिटल माध्यम से पूरा
करने का प्रयास किया है और अब पूरा विश्व इस म्यूजियम को यूट्यूब पर देख सकता है।
उन्होंने बताया कि यह कार्टून म्यूजियम
पूरे विश्व में अपने आप में अनोखा है क्योंकि इसमें आपको यह महसूस होता है कि आप
सचमुच एक म्यूजियम के अंदर जा रहे हैं और एक-एक फ्रेम आपके सामने आकर रूकती है और
आगे बढ़ जाती है। इसे रोचक बनाये रखने के लिये ऐसे कार्टूनों का चयन किया गया है जो
1950 से
1975 के
हैं लेकिन आज भी सामयिक हैं। यह प्रयास ऐसे बहुत से कार्टूनिस्टों के काम और नाम
को संरक्षित करने का प्रयास है जिनके बारे में इंटरनेट और विकिपिडिया में भी
जानकारी नहीं है और उनका निधन हो चुका है। इस म्यूजियम कि विशेषता यह होगी कि
दर्शक अपनी सुविधा के अनुसार इसे देख सकेंगे। इसकी अनगिनत गैलरी होंगी जिससे यह
म्यूजियम कभी पुराना नहीं होगा और इसमें नये पुराने कार्टूनिस्टों के काम जुड़ते
रहेंगे। पहली गैलरी का समय 10 मिनट का रखा गया है जबकि शेष सभी गैलरी सिर्फ 5 मिनट की बनाई जा रही है जिससे लोगों
का समय भी कम लगे। कार्टून वॉच ने अभी पहली तीन गैलरी ही लांच की है जिसमें
कार्टूनिस्ट शंकर पिल्लई, मारियो मिरांडा और आर.के. लक्ष्मण के कार्टून
हैं। इसके अलावा पहली गैलरी में ‘धर्मयुग’, ‘द इलेस्ट्रेटेड वीकली ऑफ इंडिया’, ‘शंकर्स वीकली’ के अनेक कार्टून हैं जो क्रमशः
नेगी, सुशील
कालरा, बी.एल.
गोस्वामी, डिजी, बाल राने, नाडिग, बूच, विष्णु, डब्बू, बिज्जी, नरेन्द्रा, जयदेव, मानिक, शरद, विनोद, बावा, पंकज गोस्वामी, उग्रह, कांति, प्रकाश, मधुकर चौधरी और शिक्षार्थी के हैं।
इसमें से नब्बे प्रतिशत कार्टूनिस्ट जीवित नहीं हैं लेकिन उनके काम आज भी लोगों के
चेहरे पर मुस्कुराहट लाने में सक्षम हैं।
श्री शर्मा के अनुसार यह कार्य बहुत
कठिन था क्योंकि रायपुर के वरिष्ठ कार्टूनिस्ट स्व. बी.एल. वाही ने अपने पास रखे
पुराने कार्टून और पत्रिकाएं उन्हें सौंप दीं थीं क्योंकि वो सब उनके जाने के बाद
रद्दी में बेच दी जातीं। उसी तरह रायपुर के 90 वर्षीय कार्टूनिस्ट शंकर रामचंद्र
तैलंग ने भी बहुत सी पुरानी पत्रिकाओं से जो कार्टून संरक्षित करके रखे थे वे सब
कार्टून वॉच को प्रदान कर दिए। उसी तरह गंगा की तट पर वाराणासी में रह रहे
कार्टूनिस्ट विनय कुल ने श्री शर्मा को वाराणसी बुलाया और दो खाली सूटकेस लेकर आने
को कहा। ऐसा इसलिए कहा क्योंकि उनके पास पुरानी शंकर्स वीकली का जखीरा था। वे
चाहते थे कि वे इसे किसी सही हाथों में सौंपे।
कार्टून वॉच के इस प्रयास को काफी सराहा
जा रहा है। ‘इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्यूनिकेशन’ ढेनकनाल के डायरेक्टर प्रो.
मृणाल चटर्जी ने इसे एक ऐतिहासिक कार्य बताया है और उन्होंने बंग्ला कार्टूनिस्टों
की जानकारी एवं कार्टून उपलब्ध कराने की बात भी कही है। इसी तरह कार्टूनिस्ट
पांडुरंगा राव ने भी, जो अब बैंगलोर में रहते हैं इस कार्य की प्रशंसा की है। इसके
अतिरिक्त देश के सभी कार्टूनिस्ट इसे पसंद कर रहे हैं, उनकी टिप्पणियों को फेसबुक और यूट्यूब
में पढ़ा जा सकता है। चेन्नई में हुये ‘कार्टून फेस्टिवल’ में ‘द हिन्दु’ के संपादक
एन. राम ने कहा था कि ‘कार्टून वॉच’ और त्रयम्बक शर्मा के प्रयासों के चलते रायपुर
को ‘कार्टून कैपिटल’ कहा जाना चाहिये तथा ‘ग्लोबल
कार्टून म्यूजियम’ उसी दिशा में एक कदम है और यह छत्तीसगढ़ को पूरे विश्व पटल पर
गौरव के साथ दर्ज कर रहा है। इस म्यूजियम को यूट्यूब पर देखने के लिए यहाँ क्लिक
करें अथवा नीचे चित्र पर क्लिक करें।

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