- अरुण कुमार बंछोर (रायपुर)
एक मुलाकात
- अरुण कुमार बंछोर (रायपुर)
फिल्म निर्माण और
राजनीति में कदम से कदम मिलाकर चलने वाली श्रीमती गायत्री केशरवानी कहती हैं कि
मौजूदा दौर में महिला सशक्तिकरण की सख्त जरुरत है।
महिला सक्षम होगी तो प्रदेश और
देश का विकास होगा। भारतीय जनता पार्टी की सक्रिय कार्यकर्ता श्रीमती केशरवानी
वार्ड क्रमांक 46 से टिकट की प्रमुख दावेदार भी है। वे कहती हैं कि जनता के लिए
काम करने में उन्हें एक सुखद अहसास की अनुभूति होती है, यही कारण है कि पार्षद का चुनाव लड़ना चाह रही हैं। अगर
पार्टी ने इस योग्य समझा तो वे जनता की सेवा करने में हमेशा आगे रहेगी। फिल्म निर्माण
में आगे बढ़ चुकी श्रीमती गायत्री केशरवानी कहती हैं कि छत्तीसगढ़ी फिल्मों के
पिछड़ने के लिए वे निर्माता, निर्देशक ही दोषी
है, जो सही तरीके से फिल्मों
को पेश नहीं कर पा रहे हैं। गायत्री तीन फिल्में बना चुकी हैं जिनमें एक भोजपुरी
फिल्म है और वह सुपरहिट रही है। तीसरी फिल्म ‘मया-2’ आने वाली है।
फिल्म और राजनीति दोनों में कदम से कदम मिलाकर चल रही गायत्री हिन्दी फिल्में भी
बनाने की तमन्ना रखती है। उनसे सभी पहलुओं पर बेबाक बात की है। प्रस्तुत है उनसे
हुई बातचीत के अंश –
प्र० आप एक फिल्म निर्मात्री है, फिर पार्षद का चुनाव क्यों लड़ना चाहती हैं?
उ० जनसमस्या के निराकरण के लिए। मैं रोज देखती हूँ क्षेत्र में काफी समस्याएं
है, इसके निराकरण के लिए हमें
आगे आना ही होगा। फिर मैं कई संस्थाओं से जुडी हुई हूँ, जो समाजसेवा के क्षेत्र में काम कर रही है।
प्र० आपने वार्ड 46 से भाजपा टिकट की दावेदारी की है, वहां क्या करना चाहती हैं?
उ० बुनियादी समस्याओं का निराकरण करूंगी। मौका मिला तो मैं अपने वार्ड में काम
करके दिखाउंगी। पेयजल, साफ़-सफाई,
सड़क, ये बुनियादी चीजे हैं जो सबको मिलना चाहिए।
प्र० आप एक महिला हैं और महिलाओं को आगे लाने के लिए आपने अभी तक कुछ किया है?
उ० महिलाओं को आगे लाने और उन्हें न्याय दिलाने की दिशा में हमने काफी कुछ
किया है और आगे भी करती रहेंगी। महिला सशक्तिकरण बहुत ही जरूरी है। महिला सशक्त
होंगी तो प्रदेश और देश का विकास होगा।
प्र० महिलाओं के लिए क्या करना चाहती है। आज भी बहुत सी महिलाये प्रताड़ित हैं
और उन्हें न्याय नहीं मिल पाता?
उ० हम ऐसी ही महिलाओं के लिए काम कर रही हैं जिन्हे न्याय नहीं मिल पाता। हम
उन्हें न्याय दिलाते है। प्रताड़ित महिलाये निर्भय होकर आगे आये हम उनके साथ खड़ी
होंगी । उन्हें न्याय दिलाएंगे। दहेज़ उन्मूलन के क्षेत्र में भी हम काम कर रहे है।
महिला उत्थान के लिए काम कर रही हूँ और करते रहना चाहती हूँ ।

प्र० आप फिल्म निर्मात्री है, ये बताइए की छत्तीसगढ़ी फिल्म क्यों ज्यादा नहीं
चल पाती?
उ० इसके पीछे कई कारण हैं पर सबसे बड़ा कारण है कि निर्माता निर्देशक कहानी को
सही तरीके से पेश नहीं करते। फिल्म नहीं चलने के लिए निर्माता निर्देशक ही दोषी
हैं ।
प्र० प्रमोशन और प्रचार प्रसार की कमी है ये आप मानती हैं?
उ० ऐसा नहीं है। प्रचार प्रसार तो होता है पर थियेटर नहीं मिल पाता। विडम्बना
देखिये, हिन्दी फिल्में थियेटर
वाले पैसा देकर लाते हैं और छत्तीसगढ़ी फिल्में प्रदर्शन करने के लिए हम थियेटर
वालो को पैसा देते हैं। मैंने तीन फिल्में बनाई हैं जिसमें से एक भोजपुरी फिल्म है
जो सुपरहिट रही लहू के दो रंग। उसकी कहानी और कास्टिंग जबरदस्त थी। फिल्में अच्छी
हो तो जरूर चलेंगी। अभी हमारी ‘मया-2’ आ रही है। फिल्म बहुत ही अच्छी बनी है। मुझे
उम्मीद है सुपरहित होगी।

प्र० क्या हिन्दी फिल्म भी बनाने के तमन्ना है?
उ० जरूर बनाउंगी। मैं अपने बेटे को हिन्दी फिल्म में ही लांच करूंगी।
प्र० छत्तीसगढ़ी फिल्म का विकास हो, उसे महत्त्व मिले, इसके लिए सरकार का सहयोग
मिल रहा है या नहीं?
उ० शासन से बात हुई है। जल्द ही खुशखबरी मिलाने वाली है। छत्तीसगढ़ में फिल्म
निर्माण का अच्छा स्कोप है, जगह भी सुन्दर है,
लोकेशन भी अच्छी है, इसे बढ़ावा तो देना ही चाहिए।

अरुण कुमार बंछोर
(वरिष्ठ पत्रकार)
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