- मोहित कोचेटा
कुछ दिन पहले एक खबर पढकर रोंगटे खड़े हो गए। खबर ही ऐसी थी। मध्य प्रदेश के एक शहर में एक पति को गिरफ्तार किया गया था। उसका
अपराध यह की वह अपनी पत्नी को दहेज के लिए न केवल प्रताड़ित ही करता था बल्कि वह उसको क्रूरतापूर्वक पीटता भी था। खबर वाकई बहुत दर्दनाक थी और हमें सोचने पर विवश करती है कि क्या हमारी मानसिकता इतनी छोटी हो गयी है कि दहेज के लिए लोग इतनी क्रूरता पर उतर आएं? यही कारण है कि
आज हमारे देश में नारी अपने को इतनी असुरक्षित समझती है। इसी के कारण शायद हमारा देश
विषम लिंग अनुपात समस्या से जूझ रहा है ।
भारत में पिछली
कुछ सदियों से
स्त्री के जन्म का स्वागत नहीं किया जाता। हमारा समाज जो
पुराने ज़माने में नारी को देवी की तरह पूजता था अब उस समाज में
भी अष्ट पुत्रवती भव (अर्थात आठ लड़कों की माँ बनो) का आशीर्वाद ही दिया
जाता है। कभी यह नहीं कहा जाता कि आठ पुत्रियों कि माँ बनो।
आज कल छोटा परिवार अपनाने के कारण भी
लिंग अनुपात की समस्या हुई है। क्योंकि देखा गया है जिस परिवार में पहले लड़के का जन्म हो गया वह तो परिवार नियोजन कर लेता है। परंतु जिस परिवार में पहली लड़की
पैदा होती है वह
परिवार नियोजन नहीं
करते।
दूसरा बड़ा कारण है
दहेज। लोग सोचते हैं
कि परिवार में
लड़की का जन्म यानी परिवार पर आर्थिक
बोझ। बेटी का
विवाह दहेज के लालची परिवार में न करें।
तीसरा कारण लड़का यानी परिवार को उसके बुढ़ापे में सहायक और लड़की यानी किसी दूसरे परिवार का धन। शायद
इसीलिए ‘लड़की तो
है धन ही
पराया’ कहते
हैं। अब जरुरत
है कि हम अपनी सोच को बदलें।
इन
सब में योगदान
दे रहा है
विज्ञान। वह
विज्ञान जो
पहले वरदान था अब आभिशाप है। वैज्ञानिकों ने जो अल्ट्रासाउंड समाज कल्याण के लिए बनाया
था उसको आज
पैसे के लालच में लिंग परीक्षण करके डाक्टरों
ने उसका
एक अभिशाप बना दिया है। लिंग परिक्षण के कारण ही हजारों
कन्याओं कि भ्रूण
हत्या कर दी जाती है। आखिर कब
चेतेगा हमारा समाज?
समय आ गया है
कि हम सब
मिलकर इस दिशा
में न केवल सोचें
बल्कि आगे बढ़
कर ठोस कदम
भी उठायें। विरोध करें
ऐसे लालची डाक्टरों का
पैसे के लालच में लिंग परीक्षण करते हैं। उनके
नाम राज्य प्रशासन और
पुलिस के अधिकारियों
को बताएं। जिससे लालची डाक्टरों पर अंकुश लगाया जा सके।