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इस धनतेरस पर होना है मालामाल तो करें राशि अनुसार उपाय
10/23/2011 8:00:17 PM
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- पं. दयानंद शास्त्री इस बार 24 अक्तूबर, सोमवार से दीपावली का पर्व धनतेरस प्रारंभ हो रहा है। महापर्व धनतेरस (धनत्रयोदशी) इस बार दो दिन तक मनाया जायेगा। यह योग नौ वर्षों के बाद आ रहा है। इसका कारण यह है कि 24 अक्तूबर को सूर्य शाम को 04:45 बजे स्वाती नक्षत्र में आ जायेगा। इसी दिन उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र भी रहेगा। यह उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र 25 अक्तूबर को प्रातः तीन बजकर 45 मिनट तक रहेगा। इसके बाद में हस्त नक्षत्र आ जायेगा। शास्त्रानुसार उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र में अबूझ मुहूर्त, मांगलिक कार्य और खरीददारी करने का श्रेष्ठ मुहूर्त होता है। वहीँ हस्त नक्षत्र भी इन कार्यों हेतु उत्तम है। 24 अक्तूबर, 2011
को धन त्रयोदशी दोपहर में 12:35 से शुरू होकर अगले दिन सुबह नौ बजे तक
रहेगी। चूँकि दीपदान शाम को त्रयोदशी और प्रदोष कल में किया जाता है और
धन्वन्तरी जयंती उदियत तिथि में त्रयोदशी होने पर मनाई जाती है। इसी कारण
24 अक्तूबर, 2011 की शाम को त्रयोदशी होने पर दीपदान किया जा सकेगा जबकि 25 अक्तूबर, 2011 को सूर्योदय के समय त्रयोदशी होने के कारण इसी दिन भगवान धन्वन्तरी की जयंती धूम धाम से मनाई जाएगी। 25 अक्तूबर,2011 की शाम को चतुर्दशी तिथि होने के कारण इस दिन रूप चतुर्दशी पर्व मनाया जायेगा। इस दिन यदि आप अपनी राशि के अनुसार नीचे लिखे उपाय करें तो धन-संपत्ति आदि का लाभ होगा । ये उपाय इस प्रकार हैं- मेष- यदि आप धनतेरस के दिन शाम के समय घर के मुख्य द्वार पर तेल के दीपक में दो काली गुंजा डाल दें, तो साल भर आर्थिक अनुकूलता बनी रहेगी। आपका उधार दिया हुआ धन भी प्राप्त हो जाएगा। वृषभ- यदि
आपके संचित धन लगातार खर्च हो रहा है तो धनतेरस के दिन पीपल के पांच पत्ते
लेकर उन्हे पीले चंदन में रंगकर बहते हुए जल में छोड़ दें। मिथुन- बरगद
से पांच फल लाकर उसे लाल चंदन में रंगकर नए लाल वस्त्र में कुछ सिक्कों के
साथ बांधकर अपने घर अथवा दुकान में किसी कील से लटका दें। कर्क- यदि आपको अचानक धन लाभ की आशा हो तो धनतेरस के दिन शाम के समय पीपल वृक्ष के समीप तेल का पंचमुखी दीपक जलाएं। सिंह- यदि व्यवसाय में बार-बार हानि हो रही हो या घर में बरकत ना रहती हो तो धनतेरस के दिन से गाय को रोज चारा डालने का नियम लें। कन्या- यदि जीवन में आर्थिक स्थिरता नहीं हो तो धनतेरस के दिन दो कमलगट्टे लेकर उन्हें माता लक्ष्मी के मंदिर में अर्पित करें। तुला- यदि आप आर्थिक परेशानी से जुझ रहे हैं तो धनतेरस के दिन शाम को लक्ष्मीजी के मंदिर में नारियल चढ़ाएं। वृश्चिक- यदि आप निरंतर कर्ज में उलझ रहे हों तो धनतेरस के दिन श्मशान के कुएं का जल लाकर किसी पीपल वृक्ष पर चढ़ाएं। धनु- धनतेरस के दिन गुलर के ग्यारह पत्तों को मोली से बांधकर यदि किसी वट वृक्ष पर बांध दिया जाए, तो आपकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी। मकर- यदि आप आर्थिक समस्या से परेशान है और रुकावटें आ रही हों, तो आक की रूई का दीपक शाम के समय किसी तिराहे पर रखने से आपको धन लाभ होगा। कुंभ- जीवन स्थायी सुख-समृद्धि हेतु प्रत्येक धनतेरस की रात में पूजन करने वाले स्थान पर ही रात्रि में जागरण करना चाहिए। मीन- यदि व्यवसाय में शिथिलता हो तो केले के दो पौधे रोपकर उनकी देखभाल करें तथा उनके फलों को नहीं खाएं। *****
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Vinay Raj Tripathi said :
ये तो २०११ के दिपावालीका पूजा विधान है, कृपया २०१२ के दीपावलीके पूजा विधानके बारेमे बतानेका कष्ट करे धन्यवाद् .
6/6/2012 9:21:49 AM
Kakaaguru said :
जनसाधारण के लिये विधि विधान द्वारा पूजन pujan करना एक दुष्कर कार्य है। जो व्यक्ति कर्मकांड में निपुण होता है, उस व्यक्ति के द्वारा ही यह कार्य कुशलतापुर्वक सम्पन्न किया जाता है। इस पूजन में अनेक मंत्रो Mantras का प्रयोग किया जाता है जो कि संस्कृत sanskrit में होते हैं। इसलिये मंत्रोउच्चारण में त्रुटि की सम्भावना भी रहती है। जो व्यक्ति कर्म कांड से अनभिग्य हैं, वे भी इसे सही तरह से सम्पन्न कर सकते हैं।
Details of Puja essentials (puja samagri) has already been given in this site.
Initial Puja and Preparation
Diwali दीपावली के दिन शुभ मुहूर्त Muhurta में घर में या दुकान में, पूजा घर के सम्मुख चौकी बिछाकर उस पर लाल वस्तर बिछाकर लछ्मी-गणेश की मुर्ति या चित्र स्थापित करें तथा चित्र को पुष्पमाला पहनाएं। मुर्तिमयी श्रीमहालछ्मीजी के पास ही किसी पवित्र पात्रमें केसरयुक्त चन्दनसे अष्टदल कमल बनाकर उसपर द्रव्य-लछ्मी (रुपयों) को भी स्थापित करके एक साथ ही दोनोंकी पूजा करनी चाहिये। पूजन-सामग्री को यथास्थान रख ले। पूजन के लिये पूर्व east या उतर north की और मुख करके बैठें। इसके पश्चात धूप, अगरबती और ५ दीप (5 deepak) शुध्द घी के और अन्य दीप तिल का तेल /सरसों के तैल (musturd oil) से प्रज्वलित करें। जल से भरा कलश Kalash भी चौकी पर रखें। कलश में मौली बांधकर रोली से स्वास्तिक का चिन्ह अंकित करें। तत्पश्चात श्री गणेश जी को, फिर उसके बाद लछ्मी जी को तिलक करें और पुष्प अर्पित करें। इसके पश्चात हाथ में पुष्प, अक्षत, सुपारी, सिक्का और जल लेकर संकल्प sankalp करें।
Sankalp
मैं (अपना नाम बोलें), सुपुत्र श्री (पिता का नाम बोलें), जाति (अपनी जाति बोलें), गोत्र (गोत्र बोलें), पता (अपना पूरा पता बोलें) अपने परिजनो के साथ जीवन को समृध्दि से परिपूर्ण करने वाली माता महालछ्मी (MahaLakshmi) की कृपा प्राप्त करने के लिये कार्तिक कृष्ण पक्छ की अमावस्या के दिन महालछ्मी पूजन कर रहा हूं। हे मां, कृपया मुझे धन, समृध्दि और ऐश्वर्य देने की कृपा करें। मेरे इस पूजन में स्थान देवता, नगर देवता, इष्ट देवता कुल देवता और गुरु देवता सहायक हों तथा मुझें सफलता प्रदान करें।
यह संकल्प पढकर हाथ में लिया हुआ जल, पुष्प और अक्षत आदि श्री गणेश-लछ्मी (Shree Ganesha-Laxmi) के समीप छोड दें।
Step by step Poojan
इसके बाद एक एक कर के गणेशजी (Ganesha), मां लछ्मी (Mata Laxmi), मां सरस्वती (Accounts Books/Register/Baheekhaata), मां काली (Ink Pot Poojan ), धनाधिश कुबेर Lord Kuber(Tijori/Galla), तुला मान की पूजा करें। यथाशक्ती भेंट, नैवैद्य, मुद्रा, वस्तर आदि अर्पित करें।
दीपमालिका पूजन Deepak Poojan
किसी पात्रमें 11, 21 या उससे अधिक दीपों को प्रज्वलित कर महालछ्मी MahaLakshmi के समीप रखकर उस दीप-ज्योतिका “ओम दीपावल्यै नमः” इस नाम मंत्रसे गन्धादि उपचारोंद्वारा पूजन कर इस प्रकार प्रार्थना करे-
त्वं ज्योतिस्तवं रविश्चन्दरो विधुदग्निश्च तारकाः |
सर्वेषां ज्योतिषां ज्योतिर्दीपावल्यै नमो नमः ||
Deepamaalika दीपमालिकाओं का पूजन कर अपने आचार के अनुसार संतरा, ईख, पानीफल, धानका लावा इत्यादि पदार्थ चढाये। धानका लावा (खील) गणेश Ganesha, महालछ्मी MahaLaxmi तथा अन्य सभी देवी देवताओं को भी अर्पित करे। अन्तमें अन्य सभी दीपकों को प्रज्वलित कर सम्पूर्ण गृह अलन्कृइत करे।
Aarti and Pushpanjali
गणेश, लछ्मी और भगवान जगदीश्वर की आरती Aarati करें। उसके बाद पुष्पान्जलि अर्पित करें, छमा Kshamaa प्रार्थना करें। Aarti and Pushpanjali mantras for goddess Lakshmiji has already been given somewhere in this site.
Visarjan
पूजनके अन्तमें हाथमें अक्षत लेकर नूतन गणेश एवं महालछ्मीकी प्रतिमाको छोडकर अन्य सभी आवाहित, प्रतिष्ठित एवं पूजित देवताओं को अक्षत छोडते हुए निम्न मंत्रसे विसर्जित करे-
यान्तु देवगणाः सर्वे पूजमादाया मामकीम् |
इष्टकामसमृध्दयर्थं पुनरागमनाया च ||
Please Note:
मंदिर, तुलसी माता, पीपल आदि के पास दीपक जलाना नहीं भुलना।
लक्ष्मी पूजा में तिल का तेल का उपयोग ही श्रेष्ठ होता है | अभाव में सरसों का इस्तमाल कर सकते
Kakaguru
9755910000
et
10/26/2011 7:25:53 AM
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